Message From The Principal's Desk
’’गायन्ति देवाः किलगीत कानि, धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे।
स्वर्गापि वर्गास्वद हे-तुर्भूते, भविन्त भूयाः पुरूषा सुरस्वात्।।’’
विष्णुपुराण में वर्णित इस श्लोक के अनुसार देवतागण भी निरंतर यही गान करते है कि जिन्होंने स्वर्ग और अवर्ग भारत में जन्म लिया है, वे मनुष्य हम देवताओं की अपेक्षा अधिक भाग्यवान है। समूचे विश्व में भारत एक महान राष्ट्र है और हृदय प्रदेश छत्तीसगढ़ रत्नगर्भा के रूप में प्रतिस्थापित है। छत्तीसगढ़ अंचल में धर्मनगरी के रूप में विख्यात भाटापारा नगर के उच्च शिक्षा के प्रति समर्पित, लगनशील, उत्साहीजनों ने ’’भाटापारा शिक्षण मण्डल’’ के माध्यम से 04 सितम्बर सन् 1964 को इस महाविद्यालय की स्थापना का भगीरथ प्रयास पूर्ण किया। यह महाविद्यालय पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.) से सर्वप्रथम संबद्धता प्राप्त महाविद्यालय है। महज 36 विद्यार्थियों से निजी महाविद्यालय के रूप में प्रारंभ होने वाली संस्था अपनी विकास यात्रा के क्रम में 56 वर्ष पूर्ण कर चुकी है एवं वर्तमान में यहाॅ 2745 विद्यार्थी अध्ययनरत है। सहशिक्षा प्रदान करने वाली यह संस्था अपनी गुणवत्ता, विश्वसनीयता एवं विशिष्टता को प्रमाणित करते हुए प्रगति पथ पर अग्रसर है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा 01 जनवरी सन् 1975 को महाविद्यालय का शासकीयकरण किया गया, पश्चात् सन् 2007 से हमारी संस्था को स्नातकोत्तर महाविद्यालय का दर्जा प्राप्त है। कला, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय में स्नातक एवं हिन्दी , अंग्रेजी, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, गणित, रसायन विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित है। अंचल के विद्यार्थियों की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए रोजगार मूलक स्नातकोत्तर पत्रोपाधि पाठ्यक्रम पी.जी.डी.सी.ए. का संचालन स्ववित्तीय आधार पर किया जा रहा है। आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाओं की उपलब्धता, आधुनिक सुविधायुक्त ग्रंथालय जिनमें महत्वपूर्ण संदर्भग्रंथों का संकलन है महाविद्यालय में अधोसंरचना के विकास की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हो रहे है। ....
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Principal
Dr. Smt. Chitrarekha Dahariya
(Govt G. N. A. P.G. College, Bhatapara)